नमस्कार दोस्तों, Allhindi के इस नये लेख में आपका स्वागत हैं। आज की इस लेख में आप जानने वाले है की विस्मयादिबोधक किसे कहते हैं। विस्मयादिबोधक से जुड़े बहुत सारे प्रश्न बोर्ड की परीक्षाओ में तथा प्रतियोगी परीक्षाओ में भी पूछे जाते हैं। और यदि आप विस्मयादिबोधक के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी जानना चाहते हैं तो आप इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े।
विस्मयादिबोधक किसे कहते हैं
विस्मयादिबोधक (Interjection): जो शब्द आश्चर्य (विस्मय), शोक, घृणा, प्रसन्नता, भय आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक शब्द कहते हैं। विस्मयादिबोधक शब्द का शाब्दिक अर्थ है: विस्मय + आदि + बोधक अर्थात् विस्मय (आश्चर्य) आदि, मन के भावों या उदगारों का बोध कराने वाले शब्द।
उदाहरण: (क) शाबाश! तुम बहुत बहादुर हो।
(ख) वाह! भगवान आखिर तुमने मेरी सुन ही ली।

विस्मयादिबोधक शब्दों की विशेषताएँ
विस्मयादिबोधक शब्दों की विशेषताएँ: विस्मयादिबोधक शब्दों की निम्नलिखित विशेषताएँ है
- ये शब्द अनायास मुख से निकल जाते हैं।
- इन शब्दों का प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में होता है।
- इनका संबंध वाक्य या उसके किसी शब्द से नहीं होता है।
- इनका कार्य केवल मन के भावों को प्रकट करना होता है।
- इन शब्दों के बाद विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग होता है।
- ये भी अविकारी शब्द होते हैं, अर्थात् लिंग, वचन व कारक के कारण इनका रूप नहीं बदलता।
विस्मयादिबोधक शब्द और भाव
क्रम सं. | विस्मयादिबोधक शब्द | भाव |
1. | विस्मयबोधक | क्या, अरे, अहो, है, सच, ओह, ओहो आदि। |
2. | हर्षबोधक | शाबाश, वाह, अति, सुंदर आदि। |
3. | शोकबोधक | उफ, आह, हाय, हे राम, रामराम आदि। |
4. | स्वीकारबोधक | हाँ ठीक, जी हाँ, अच्छा आदि। |
5. | घृणाबोधक | हिःछि, धिक्कार, उफ, धत् आदि। |
6. | क्रोधबोधक | अबे, अरे, चुप आदि। |
7. | विवशताबोधक | कदाचित, काश आदि। |
8. | भयसूचक | हाय, बाप रे आदि। |
9. | संबोधनबोधक | अजी, अरे, सुनते हो आदि। |
10. | आशीर्वादबोधक | शाबाश, जीते रहो आदि। |
विस्मयादिबोधक के भेद: अर्थ को दृष्टि से विस्मयादिबोधक शब्दों के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं
विस्मयबोधकः जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, को देखते हैं तो उसके प्रति हमारे मन में आश्चर्य प्रकट होता हैं। इस प्रकार के भाव का जब बोध होता हैं तो उसे विस्मयबोधक कहते हैं।
उदाहरण: अरे! नेहा गा भी लेती है।
सच! क्या ये सब हो सकता है?
हर्षबोधकः जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, को देखते हैं तो उसके प्रति हमारे मन में प्रसन्नता या ख़ुशी का भाव प्रकट होता हैं। इस प्रकार के भाव का जब बोध होता हैं तो उसे हर्षबोधक कहते हैं।
उदाहरण वाह! कितना सुंदर मकान है।
आहा! तो तुम प्रथम आ ही गए।
शोकबोधकः जब हमे कोई ऐसी सुचना मिलती हैं जिसे सुनकर हमारा मन दुखी हो जाता है। इस प्रकार के भाव का जब बोध होता हैं तो उसे शोकबोधक कहते हैं।
उदाहरण: (क) हाय! उसका पैर टूट गया।
(ख) ओह! तुम बहुत बीमार हो।
स्वीकारबोधक: जब किसी व्यक्ति की बातो या विचारों से सहमत होते हैं। ऐसी भाव को प्रकट करने के लिए स्वीकारबोधक शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं।
उदाहरण: हाँ! घूमने चले जाओ।
बिल्कुल! तुमने उस समय सही कहा था।
घृणाबोधक: जब आप किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान से घृणा अथवा तिरस्कार का भाव प्रकट करता है। तो ऐसे भाव को घृणाबोधक कहते हैं।
उदाहरण: छिःछिः! वह बहुत गंदा है।
धत्! तुम तो बिल्कुल बेकार हो।
क्रोधबोधकः यह किसी व्यक्ति के मन के क्रोध को प्रकट करता है। ऐसे भाव को क्रोधबोधक कहते हैं।
उदाहरण: अरे! मेरी बात मानता है या नहीं?
चुप रहो! वरना मार खाओगे।
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विवशताबोधक: यह वक्ता की विवशता को प्रकट करते हैं।
उदाहरण: (क) कदाचित! वह ऐसा न करता।
(ख) काश! मैं आपकी सहायता कर सकता।
(8) भयसूचकः यह मन के भय को प्रकट करते हैं।
उदाहरण: (क) ओ माँ! यह सब क्या हो गया।
(ख) हे भगवान! मुझे बचा लो।
(9) संबोधनबोधकः संबोधन के लिए इन विस्मयादिबोधक का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण: (क) अरे! लड़के कहाँ जा रहे हो ?
(ख) सुनो! यह काम आज खत्म हो जाना चाहिए।
(10) आशीर्वादबोधकः यह आशीर्वाद का भाव प्रकट करता है।
उदाहरण:(क) चिरंजीव रहो!
(ख) खूब फूलो फलो!
विस्मयादिबोधक से जुड़े सवाल जवाब
प्रश्न: क्रोधबोधक किसे कहते हैं?
उत्तर: यह किसी व्यक्ति के मन के क्रोध को प्रकट करता है। ऐसे भाव को क्रोधबोधक कहते हैं।
उदाहरण: अरे! मेरी बात मानता है या नहीं?
चुप रहो! वरना मार खाओगे।
प्रश्न: विस्मयबोधक किसे कहते हैं ?
उत्तर: जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, को देखते हैं तो उसके प्रति हमारे मन में आश्चर्य प्रकट होता हैं। इस प्रकार के भाव का जब बोध होता हैं तो उसे विस्मयबोधक कहते हैं।
प्रश्न: हर्षबोधक किसे कहते हैं?
उत्तर: जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, को देखते हैं तो उसके प्रति हमारे मन में प्रसन्नता या ख़ुशी का भाव प्रकट होता हैं। इस प्रकार के भाव का जब बोध होता हैं तो उसे हर्षबोधक कहते हैं।
इस लेख के अंत में
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