ठोस किसे कहते हैं | Thos kise kahate hain

ठोस किसे कहते हैं | Thos kise kahate hain

प्रिय पाठक! allhindi.co. in पर आप सभी का स्वागत है। उम्मीद करता हूँ की आप सभी लोग अच्छे होंगे और प्रतिदिन कुछ नया सीख रहे होंगे। आज की इस लेख में आप यह जानेंगे की ठोस किसे कहते हैं, ठोस के प्रकार, गुण और भी बहुत कुछ। इस लेख को पढने के बाद आपको ठोस से जुडी हर जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

ठोस किसे कहते हैं

कक्षा 7 या 8 से ही विज्ञान की किताबो में हम बहुत सारी चीजे पढ़ते है उनमे से एक अध्याय ये भी होता है इसके आगे की लेख में हम द्रव किसे कहते हैं इसके बारे में जानेंगे फ़िलहाल अभी इस लेख में आप ठोस के बारे में जानने वाले है आइये जानते है ठोस की परिभाषा तथा उनके प्रकार

ठोस किसे कहते हैं
ठोस किसे कहते हैं

ठोस की परिभाषा

ठोस: द्रव्य की वह अवस्था , जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित होते हैं, ऐसे पदार्थ को ठोस कहते है। जिस विज्ञान की शाखा में आप ठोस को पढ़ते है उसे ठोस अवस्था कहते है।
उदाहरण- पत्थर, लकड़ी, बर्फ (ठोस जल) आदि।

ठोस अवस्था
ठोस अवस्था : द्रव्य की वह अवस्था, जिसमे अवयवी कण प्रबल अन्तराणुक बलों जालकमें संवृत संकुलित रहते है तथा जिस कारण गति करने में असमर्थ रहते है, ठोस अवस्था कहलाती है।

ठोस के महत्त्वपूर्ण गुण

  1. ठोस में अणुओं की व्यवस्था (Arrangement of Molecules in Solid): क्रिस्टलीय ठोस के कण परस्पर निकट एवं निश्चित क्रम में त्रिविम जालक (Three dimensional lattice) के रूप में व्यवस्थित होते हैं, यही कारण है कि ठोस में कणों की स्थिति निश्चित होती है।
  2. ठोस का आयतन एवं आकार (Volume and Size of Solid): ठोस के कणों के मध्य अन्तराण्विक बल अत्यधिक प्रबल होता है अर्थात् इनके मध्य अन्तराकणीय अवकाश (स्थान) बहुत कम होता है, जिसके फलस्वरूप कणों की स्वतन्त्र गति सम्भव नहीं हो पाती है तथा ये केवल एक निश्चित स्थान पर कम्पन ही कर सकते हैं। अतः ठोस का आकार व आयतन निश्चित होता है।
  3. सम्पीड्यता (Compressibility): अन्तराकणीय स्थान बहुत कम होने के कारण ठोस बहुत कम सम्पीड्य या लगभग असम्पीड्य होते हैं, (सम्पीड्य का तात्पर्य दाब लगाकर आयतन को कम करना है।
  4. गर्म करने पर प्रसार (Expansion on Heating): किसी पदार्थ को गर्म करने पर उसके कण दूर-दूर हो जाते हैं। अतः प्रसार (फैलाव) होता है, परन्तु ठोस के कणों के मध्य अन्तराकणीय स्थान बहुत कम होता है, जिसके कारण इसे गर्म करने पर कणों का प्रसार बहुत कम होता है।
  5. घनत्व (Density): अन्तराकणीय अवकाश बहुत कम होने के कारण इनके घनत्व उच्च होते हैं।
    उदाहरण- जल, तेल आदि।

ठोस के प्रकार

अभी तक आपने जाना की ठोस किसे कहते हैं अब आप जानेंगे की ठोस के कितने प्रकार होते हैं। सामान्य तौर पे ठोस के दो प्रकार होते है।
(i) अक्रिस्टलीय ठोस
(ii) अक्रिस्टलीय ठोस

अब यहाँ पर क्रिस्टलीय ठोस के चार प्रकार के होते हैं।
(i) आयनिक ठोस
(ii) धात्विक ठोस
(iii) आण्विक ठोस
(iv) सहसंयोजक ठोस

इन सभी के प्रकार के बारे में हम सारी जानकारी इस लेख में ही प्राप्त करेंगे।

क्रिस्टलीय ठोस

क्रिस्टलीय ठोस: वह ठोस जिसमे अवयवी कण (अणु, परमाणु, आयन) एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित रहते हैं क्रिस्टलीय ठोस कहलाता है।
उदाहरण: हीरा, क्वार्टज़, सिल्वर, ग्रेफाइट इत्यादि।

अक्रिस्टलीय ठोस

अक्रिस्टलीय ठोस: वह ठोस जिनके अवयवी कण अनिश्चित क्रम एवम अनियमित क्रम में व्यवस्थित होते है अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते है। इनके अवयवी कणों की व्यवस्था लघु परासी होती है इनको आभासी ठोस अथवा अतिसीतित द्रव भी कहा जाता हैं।

क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार: अब हम क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार के बारे में जानेंगे।अब उन सभी चारो की परिभाषाओ को जानेंगे।

आयनिक ठोस:

ऐसे ठोस पदार्थ जिनके क्रिस्टलों की संरचनात्म्क इकाई आयन (धनायन व ऋणायन) होते है आयनिक ठोस कहलाते है।
आयनिक ठोस के गुण:
ये ठोस विपरीत आवेश वाले आयनों में वने होते है।
विपरीत आवेश वाले आयनों के मध्य कुलाम आकर्षण बल होता है। अत: इन ठोसो में बंधन बल कुलाम आकर्षण बल होता है।
ये ठोस कठोर व् भंगुर होते है।
ये ठोस प्रबल वैधुत आकर्षण बल के कारण उच्च गलनांक व् उच्च क्वथनांक रखते है।
ये उच्च वाष्पन ऊष्मा रखने के कारण अवाष्पशील होते है]
ये ध्रुवीय विलायको में विलेय होते है।
ठोस अवस्था में विद्युत् के कुचालक व विलयन या गलित अवस्था में विद्युत् के चालक होते है।

आण्विक ठोस

आण्विक ठोस: वे ठोस पदार्थ जिनके क्रिस्टलों की संरचनात्मक इकाई अणु होते है आण्विक ठोस कहलाते है
उदाहरण: आयोडीन, ठोस मीथेन, बर्फ आदि।

आण्विक ठोस के गुण:
ये ठोस अणुओ द्वारा बने होते है।
इन ठोसो में अंतरकण बंधन बल वांडरवाल बल होता है।
ये ठोस मुलायम होते है
दुर्बल वांडर वाल के कारण ये ठोस निम्न गलनांक व निम्न क्वथनांक रखते है।
ये निम्न वाष्पन ऊष्मा के कारण-कारण सामान्यत: वाष्पनशील होते है।
ध्रुवीय ठोस व अध्रुवीय ठोस क्रमशः ध्रुवीय व अध्रुवीय विलायको में विलेय होते है।
ये ऊष्मा या विद्युत् के कुचालक होते है।

सहसंयोजी ठोस

सहसंयोजी ठोस: वे ठोस जिनकी संरचनात्मक इकाई परमाणु होते है सहसंयोजी ठोस कहलाते है। इन ठोसो में परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक पाये जाते है सहसंयोजक वन्ध के व्दारा इस प्रकार के ठोस विशाल अन्तरवन्धीय संरचना रखते है अत: ये नेटवर्क ठोस भी कहलाते है।
उदाहरण:–हीरा, ग्रेफाइट, सिलिका आदि।
सहसंयोजक के लक्षण:
(1) ये ठोस परमाणुओं द्वारा बने होते है।
(2) इन ठोसो में अन्तरकण वन्धन सहसंयोजक होता है।
(3) थे अति कठोर व भंगुर होते है
(4) नेटवर्क के कारण ये अत्यधिक उच्च गलनांक व ववथनांक रखते है।
(5) ये उच्च वाजपन उष्मा के कारण अवाष्पशील होते हैं।
(6) ये ऊष्मा व विद्युत के कुचालक होते है।

धात्विक ठोस

धात्विक ठोस: वे ठोस जिनकी संरचनात्मक इकाई धातु परमाणु होते है धात्विक ठोस कहलाते है।
उदाहरण: कॉपर, रजत, निकिल आदि।
धात्विक ठोसो के लक्षण–
(1) ये ठोस धातु परमाणुओं द्वारा बने होते है
(2) इन ठोसो में अन्तरकण वन्धन धात्विक वन्ध होता है।
(3) ये अति मुलायम से अति कठोर होते है जैसे-सोडियम अति मुलायम व आस्मियम अति कठोर है।
(4) ये निम्न से उच्च गलनांक व ववथनांक रखते है।
(5) ये निम्न से उच्च वालपन उष्मा रखते है।
(6) ये ऊष्मा व विद्युत के सुचालक होते हैं।
(7) ये तन्य व आघातवर्धनीय होते है।

ठोस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल:

Ques: अक्रिस्टलीय ठोस का दूसरा नाम क्या है?

Ans: अक्रिस्टलीय ठोस का दूसरा नाम आभासी ठोस अथवा अतिसीतित द्रव हैं।

Ques: ठोस का परिभाषा क्या होता है?

Ans: द्रव्य की वह अवस्था , जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित होते हैं, ऐसे पदार्थ को ठोस कहते

Ques: ठोस कितने प्रकार का होता है?

Ans: ठोस के दो प्रकार होते है।
(i) अक्रिस्टलीय ठोस
(ii) अक्रिस्टलीय ठोस

इस लेख के बारे में:

तो आपने इस लेख में जाना की ठोस किसे कहते हैं। इस लेख को पढ़कर आपको कैसा लगा आप अपनी राय हमें कमेंट कर सकते है। इस लेख में सामान्य तौर पर किसी भी प्रकार की कोई गलती तो नहीं है लेकिन अगर किसी भी पाठक को लगता है कि इस लेख में कुछ गलत है तो कृपया कर हमे अवगत करे। आपके बहुमूल्य समय देने के लिए और इस लेख को पढने के लिए allhindi की पूरी टीम आपका दिल से आभार व्यक्त करती है।
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