तंत्रिका कोशिका के प्रकार कितने होते हैं: Modapknow के इस लेख में आपका स्वागत हैं। हम सभी जानते हैं, कि जैविक क्रियाएँ (Metabolic activities) प्रत्येक जीव का अभिन्न अंग हैं और सभी जीवों के लिए जैविक प्रक्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वयन अतिआवश्यक है। जन्तुओं में इन क्रियाओं के नियन्त्रण व समन्वयन के लिए विशेष तन्त्र व अंग पाए जाते हैं, जोकि पादपों की तुलना में अत्यधिक विकसित होते हैं। ऐसा जन्तुओं के गतिशील रहने और बार-बार अपने बाह्य वातावरण को बदलते रहने के कारण होता है।
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वयन के लिए तन्त्रिका एवं अन्तःस्रावी तन्त्र पाए जाते हैं, परन्तु पादप गतिशील नहीं होते हैं तथा उनका बाह्य वातावरण लगभग समान रहता है। अतः उनमें तन्त्रिका तन्त्र जैसा नियन्त्रण व समन्वयन अनुपस्थित होता है। ये अन्तःस्रावी तन्त्र अर्थात् विशेष रासायनिक समन्वयकों (हॉर्मोन्स) के द्वारा ही अपनी जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वयन करते हैं। तो आइये जानते हैं की
तंत्रिका किसे कहते हैं [ Tantrika Kise Kahate Hain ]
मानव में नियन्त्रण तथा समन्वयन तन्त्रिका तन्त्र तथा पेशी ऊतक द्वारा किया जाता है। शरीर की प्रत्येक प्रतिक्रिया में भाग लेने वाले विविध ऊतकों तथा अंगों की क्रियाओं के समन्वयन हेतु केवल जन्तुओं में एक विशेष तन्त्र पाया जाता है, जिसे तन्त्रिका तन्त्र कहते हैं।
तन्त्रिका कोशिकाएँ किसे कहते हैं [ Tantrika Koshikayein Kise Kahate Hain ]
तन्त्रिका कोशिकाएँ अत्यधिक जटिल एवं लगभग 0.1 मिमी से 1 मीटर तक लम्बी होती हैं। ये शरीर की सबसे लम्बी कोशिका हैं। इनमें कोशिका विभाजन की क्षमता नहीं होती है।

तन्त्रिका कोशिका के भाग [Tantrika Koshika Ke Bhaag]
कोशिकाकाय किसे कहते हैं [ Koshikakay Kise Kahate Hain ]
यह तन्त्रिका कोशिका का प्रमुख भाग है। इसके जीवद्रव्य में केन्द्रक, माइटोकॉण्ड्रिया, गॉल्जीकाय, वसा बिन्दु, अन्तः प्रद्रव्यी जालिका, आदि के अतिरिक्त अनियमित आकार के निस्सल के कण (Nissl’s granules) उपस्थित होते हैं। इस भाग में तारककाय (Centriole) की अनुपस्थिति इन कोशिकाओं में विभाजन क्षमता के अनुपस्थित होने की पुष्टि करती है।
वृक्षिकान्त / द्रुमिका किसे कहते हैं [ Vrikshikant Kise Kahate Hain ]
ये अपेक्षाकृत छोटे एवं शाखामय प्रवर्ध होते हैं, जो सिरों की ओर क्रमश: संकरे होते जाते हैं। वृक्षिकान्त प्रेरणा या उद्दीपनों को कोशिकाकाय की ओर ले जाते हैं। तन्त्रिका कोशिका की द्रुमिका सभी आवेगों को कोशिकाकाय में लाने का कार्य करती है। द्रुमिका की सहायता से ही एक तन्त्रिका कोशिका अन्य तन्त्रिका कोशिकाओं से जुड़ी रहती है। यदि इसे काट दिया जाए, तो किसी प्रकार का आवेग संचारित नहीं होगा और बाह्य उद्दीपनों के लिए संवेदना समाप्त हो जाएगी।
तन्त्रिकाक्ष / अक्ष तन्तु किसे कहते हैं [ Tantrikaksh Tantu Kise Kahate Hain ]
कोशिकाकाय से एक लगभग बराबर मोटाई का लम्बा प्रवर्ध अक्ष तन्तु (Axial filament) या तन्त्रिकाक्ष निकलता है। तन्त्रिकाक्ष के अन्तिम छोर की उपशाखाओं पर घुण्डीनुमा रचनाएँ सिनैप्टिक घुण्डियाँ (Synaptic knobs) होती हैं। ये अन्य तन्त्रिका कोशिका के द्रुमिका (Dendrites) के साथ युग्मानुबन्धन या सिनैप्स (Synapse) बनाती हैं।
तन्त्रिकाक्ष चारों ओर से तन्त्रिकाच्छद (Neurolemma) से घिरा होता है। यह श्वान कोशिकाओं (Schwann cells) से बना होता है। श्वान कोशिकाएँ और इनकी जैसी ही कुछ दूसरी कोशिकाएँ कुछ तन्त्रिका तन्तुओं में तन्त्रिकाक्ष के चारों ओर मायलिन (Myelin) नामक वसीय पदार्थ के स्त्रावण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इन तन्तुओं को मज्जावृत्त (Medullated) कहते हैं। जब तन्त्रिका तन्तु में मायलिन का अभाव होता है, तो इन्हें मज्जारहित (Non-medullated) कहते हैं।
तन्त्रिकाच्छद जगह-जगह पर तन्त्रिकाक्ष से चिपका रहता है, इन स्थानों को रैनवियर की सन्धि (Node of Ranvier) कहते हैं। ये आवेगों के संचरण का कार्य करते हैं।
तंत्रिका कोशिका के प्रकार [ Tantrika Koshikao ke Prakaar ]
तन्त्रिका कोशिकाएँ कार्य के आधार पर निम्न प्रकार की होती हैं।
संवेदी या अभिवाही तन्त्रिका कोशिकाएँ (Sensory Neurons): ये संवेदनाओं को अंगों से ग्रहण करके केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को पहुँचाती हैं।
चालक या अपवाही तन्त्रिका कोशिकाएँ (Motor Neurons): ये संदेशों को केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र से कार्यकारी अंगों तक पहुँचाती हैं।
मिश्रित या संयोजक तन्त्रिका कोशिकाएँ (Mixed Neurons): ये संवेदी तथा प्रेरक दोनों प्रकार की होती हैं तथा दोनों में सम्बन्ध स्थापित करती हैं।
इनके अतिरिक्त संरचना ( प्रवधो की संख्या ) के आधार पर तन्त्रिका कोशिकाएँ एक ध्रुवीय (Unipolar), द्विध्रुवीय (Bipolar) एवं बहुध्रुवीय (Multipolar) प्रकार की होती हैं। कुछ निम्न श्रेणियों के जन्तुओं में अध्रुवीय (Non-polar) तन्त्रिका कोशिकाएँ भी पाई जाती हैं। इनमें प्रवर्ध तो होते हैं, परन्तु उनमें कार्यात्मक विभेदीकरण नहीं होता है।
युग्मानुबन्धन किसे कहते हैं [ Yugmanubandhan Kise Kahate Hain ]
दो तन्त्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के बीच में एक क्रियात्मक सम्बन्ध होता है, जिसे युग्मानुबन्धन कहते हैं। तन्त्रिका के अन्त से विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करते हैं। ये रसायन युग्मानुबन्धन को पार करके अगली तन्त्रिका कोशिकाओं तक विद्युत आवेग पहुँचाते हैं।
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