संपर्क भाषा किसे कहते हैं (परिभाषा, परिचय, विशेषताएँ)

संपर्क भाषा किसे कहते हैं (परिभाषा, परिचय, विशेषताएँ)

प्रिय पाठक (Friends & Students)! allhindi.co.in में आपका स्वागत है। उम्मीद करता हूँ आप सब लोग अच्छे होंगे। आज की इस नए लेख में आप जानेंगे कि संपर्क भाषा किसे कहते हैं? इसके बारे में जानेंगे। | इसके अलावा हम यह भी जानेंगे की संपर्क भाषा का क्या महत्वव है और इनकी क्या विशेषताएं हैं

संपर्क भाषा भाषा के संदर्भ में ” संपर्क भाषा ” का अर्थ होता है जोड़ने वाली भाषा | एक ऐसी भाषा जो अलग – अलग भाषाओं के बोलने वाले लोगों को जोड़ती है । उनके बीच संपर्क स्थापित करने का माध्यम बनती है । जब दो अलग – अलग भाषाएं बोलने वाले व्यक्ति आपस में बातचीत करना चाहते हैं तो उन्हें किसी ऐसी भाषा की जरूरत होती है जिसे वे दोनों समझ सकें ।

संपर्क भाषा किसे कहते हैं?

जब कोई व्यक्ति अपनी मातृभाषा के अलावा किसी दूसरी भाषा का प्रयोग करके अपनी भावनाओं या विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाता है तथा वह भाषा दूसरे व्यक्ति को भी समझ में आती है ऐसी भाषाओं को हम संपर्क भाषा कहते हैं।

डॉ . भोलानाथ तिवारी के अनुसार “जो भाषा अन्य लोगो के काम आये, उसे संपर्क भाषा कहते हैं ।” हिन्दी भारत देश की संपर्क भाषा बहारिक रूप में है क्योंकि यह यह भाषा भारत के अलग-अलग लोगों के बीच में संपर्क तथा संवाद करने में सहायक होती है। अंग्रेजी को आज विश्व की संपर्क भाषा कहा जाता है क्योंकि यह विश्व के अलग-अलग लोगों से बातचीत करने में सहायता करते हैं।

संपर्क भाषा किसे कहते हैं

संपर्क भाषा का कुछ विचार

संपर्क भाषा सदैव बातचीत के स्तर तक सीमित नहीं रहती है संपर्क भाषा कई अलग-अलग क्षेत्रों में भी हमें सहायता करती है जैसे व्यापार का चित्र शिक्षा का क्षेत्र इत्यादि। संपर्क भाषा का अत्यधिक महत्व होता है । जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग भाषाओं के बारे में जानकारी रखता है तथा उस भाषा को उस भाषा का प्रयोग किसी दूसरे व्यक्ति से बातचीत करने के लिए  करता है।

जैसे भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की उनकी एक भाषा होती है। ऐसे में जब दो अलग-अलग क्षेत्र के लोग आपस में मिलते हैं तो उन्हें बातचीत करने के लिए एक ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता है जो दोनों लोगों की मातृभाषा ना होकर के अन्य कोई भाषा हो जी ने दोनों व्यक्ति समझ सकते हैं तथा उन्हें आसानी से सुन सकते हैं। यही भाषा ही संपर्क भाषा कहलाती है ।

भारत जैसे देश जिसमें अनेक भाषा – भाषी लोग रहते हैं संपर्क के लिए एक भाषा का इस्तेमाल करते हैं । पूर्व सोवियत में लोग अपने भाव या विचारों का आदान प्रदान करने के लिए अनेक भाषाओं का प्रयोग करते थे किंतु रूसी पूर्व सोवियत की संपर्क भाषा जाने जाते थे। पुराने समय में भारत में भारत की संपर्क भाषा संस्कृत थी लेकिन धीरे-धीरे वह भाषा हिंदी ने ले लिया और आज हिंदी को सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में शामिल कर लिया गया है।

डॉ . महेन्द्र सिंह राणा ने भी अपनी पुस्तक प्रयोजनमूलक हिंदी के आधुनिक आयाम ‘ में संपर्क – भाषा ‘ पर विचार किया है । उनकी परिभाषा इस प्रकार है ” परस्पर अबोधगम्य भाषा या भाषाओं की उपस्थिति के कारण जिस सुविधाजनक विशिष्ट भाषा के माध्यम से दो व्यक्ति , दो राज्य , कोई राज्य और केंद्र तथा देश संपर्क स्थापित कर पाते हैं , उस भाषा विशेष को संपर्क – भाषा / संपर्क साधक भाषा ( Contact Language or Interlink Language ) कहा जा सकता है । ” 

ध्यान देने की बात यह है कि कुछ लोग आज भी यह सोचते हैं कि अंग्रेजी ही भारत की संपर्क – भाषा हो सकती है । उन्हें यह जान लेना होगा कि कोई भी विदेशी भाषा हमारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती । राष्ट्रीय एकता , सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक – संपदा की सुरक्षा के लिए हमें अपनी भाषाओं के साथ ही एक संपर्क – भाषा का भी विकास करना होगा । यह भाषा हिंदी ही हो सकती है । 

हिंदी अनेक भारतीय क्षेत्रों में भिन्न – भिन्न भाषाएँ बोलने वाले लोगों के बीच संपर्क – भाषा के रूप में सक्रिय है । अखिल भारतीय भाषाओं में से केवल हिंदी ही ऐसी भाषा है , जो संपर्क – भाषा के रूप में व्यवहृत होती है । देश के किसी भी कोने में चले जाएँ , कहीं भी चले जाएँ , लोग थोड़ी बहुत ही सही , किंतु बोल और समझ ही लेते हैं । स्थिति यह है कि हिंदी राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना से जुड़ी हुई है ।

संस्कृत , हिंदी की जननी भाषा है और हिंदी उसकी उत्तराधिकारिणी हिंदी में संस्कृत शब्दावली के समावेश के कारण हिंदीतर भाषी लोग भी समझ जाते हैं । इसका कारण यह है कि उनकी भाषाओं में संस्कृत के शब्दों का पहले से ही समावेश है , चलन है । इससे शब्दावली परिचय के स्तर पर साम्य की स्थिति बन जाती है और दो व्यक्तियों आदि के बीच संवाद स्थापित कराने में हिंदी सक्षम हो जाती है ।

संपर्क भाषा का महत्व:

  1. संपर्क भाषा को अंग्रेजी में लिंगवा फ्रेंस कहते हैं जिसका सामान्य तौर पर अर्थ लोक बोली या समान्य बोली से हैं।
  2. विविधता पूर्ण समाज में लोगों के बीच संपर्क साधने का कार्य संपर्क भाषा करती है और यह भाषा क्षेत्रीय स्तर पर या राज्य स्तर पर हमें अलग-अलग दिखाई दे सकती है।
  3. वैश्विक रूप से संपर्क साधने अंग्रेजी भाषा अपने साथ इसका लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है।
  4. विकसित देशों में जैसे अमेरिका, फ्रांस, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी इन देशों में संपर्क भाषा यहाँ की प्रशासनिक यानी राजभाषा और राष्ट्रभाषा होती है।
  5. विविधता पूर्ण समाज में लोगों के बीच संपर्क साधने का कार्य संपर्क भाषा करती है और यह भाषा क्षेत्रीय स्तर पर या राज्य स्तर पर हमें अलग-अलग दिखाई दे सकती है।
  6. वैश्विक रूप से संपर्क साधने अंग्रेजी भाषा अपने साथ इसका लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है।
  7. भारत में हिन्दी भाषा कोई दर्जा प्राप्त है यह संपर्क भाषा राजभाषा राष्ट्रभाषा के रूप में अपनी लगातार भूमिका अदा करती आ रही हैं

इससे सम्बंधित लेख:

सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं? इतिहास, विकास और उदाहरण
मातृभाषा किसे कहते हैं
भाषा किसे कहते हैं (परिभाषा और भेद)

संपर्क भाषा से जुड़े कुछ सवाल

प्रश्न: भारत की संपर्क भाषा क्या है?

उत्तर: भारत की संपर्क भाषा हिंदी है|

प्रश्न: विश्व की संपर्क भाषा क्या है?

उत्तर: इंग्लिश

0 thoughts on “संपर्क भाषा किसे कहते हैं (परिभाषा, परिचय, विशेषताएँ)”

Leave a Comment