प्रिय पाठक! Allhindi के इस नये लेख में आपका स्वागत हैं। आज की इस लेख में आप संबंधबोधक किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा, भेद तथा उदाहरण के बारे में आप सभी को विस्तार से बताया जायेगा।
संबंधबोधक किसे कहते हैं
संबंधबोधक की परिभाषा: ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर उनका वाक्य में आए अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध का बोध कराते हैं, संबंधबोधक कहा जाता है। जैसे: के आगे, के पीछे, बीच में, के बाद, के नीचे, के ऊपर, के सहारे आदि।
संबंधबोधक के उदाहरण:
- पेड़ पर बंदर बैठा है।
- मेरे घर के पीछे एक पेड़ है।
- मेरे घर के सामने एक बगीचा है।
- ज्ञान के बिना सम्मान नहीं मिलता।
संबंधबोधक शब्दों का प्रयोग हमेशा, के, से, की आदि शब्दों के साथ होता है, अन्यथा ये शब्द विशेषण या क्रियाविशेषण का रूप ले लेते हैं।

संबंधबोधक अव्यय के प्रकार: संबंधबोधक अव्यय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
- संबद्ध
- अनुबद्ध
संबंद्ध: संबद्ध संबंधबोधक अव्यय संज्ञाओं की विभक्तियों के पीछे लगाए जाते हैं। उदाहरण: धन के बिना, स्नान से पहले, जाने के बाद, नर की तरह आदि।
अनुबद्ध: अनुबद्ध संबंधसूचक अव्यय संज्ञा के विकृत रूप के साथ प्रयुक्त होते हैं। उदाहरण: गिलास भर, किनारे तक, भरने तक, मित्रों सहित आदि।
संबंधबोधक के प्रकार
संबंधबोधक के प्रकार (Kinds of Preposition): हिंदी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले संबंधबोधक शब्द प्रायः दस प्रकार के होते हैं:
- तुलनावाचक: के अपेक्षा, के आगे, के सामने आदि।
- स्थानवाचक: के नीचे, के ऊपर, के बीच, के पास आदि।
- कालवाचक: से पहले, के बाद, के पश्चात्, उपरांत आदि।
- समतावाचक: के समान, की तरह, के बराबर, के तुल्य आदि।
- दिशावाचक: की ओर, की तरफ, के पास, के सामने, के आस पास आदि।
- साधन वाचक: के द्वारा, के माध्यम, के सहारे, के जरिए आदि।
- संगवाचक: के साथ, के संग, के सहित, के समेत आदि।
- हेतुवाचक: के लिए, के हेतु, के वास्ते, के कारण आदि।
- विरोधवाचक: के विरुद्ध, के खिलाफ, के विपरीत आदि।
- पृथकवाचक: से अलग, से दूर, से हटकर आदि।
संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर
संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर: जो शब्द क्रिया को विशेषता बताते हैं कि क्रिया कम कहाँ कैसे तथा कितनी हो रही है, उन्हें क्रियाविशेषण कहा जाता है जबकि जो शब्द वाक्य में आए संज्ञा/सर्वनाम शब्दों का एकदूसरे से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहा जाता हैं।
क्रियाविशेषण तथा संबंधबोधक दोनों अविकारी (अव्यय) शब्द है। अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग क्रियाविशेषण और संबंधबोधक दोनों प्रकार से किया जाता है।
उदाहरण: नीचे, ऊपर, सामने, बाहर, भीतर, यहाँ आदि।
शब्द | क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त | संबंधबोधक के रूप में प्रयुक्त |
सामने | सामने देखो। | घर के सामने मंदिर है। |
भीतर | राजेश भीतर रहता है। | संजय घर के भीतर है। |
बाहर | वह बाहर गया है। | कमरे के बाहर उजाला है। |
नीचे | तुम नीचे जाओ। | पेड़ के नीचे बंदर है। |
पीछे | वह पीछे चल रहा है। | लक्ष्मण राम के पीछे चलता है। |
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संबंधबोधक से जुड़े कुछ सवाल और जवाब:
प्रश्न: संबंधबोधक किसे कहते हैं?
उत्तर: ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर उनका वाक्य में आए अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध का बोध कराते हैं, संबंधबोधक कहा जाता है। जैसे: के आगे, के पीछे, बीच में, के बाद, के नीचे, के ऊपर, के सहारे आदि।
प्रश्न: संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में क्या अंतर हैं?
उत्तर: जो शब्द क्रिया को विशेषता बताते हैं कि क्रिया कम कहाँ कैसे तथा कितनी हो रही है, उन्हें क्रियाविशेषण कहा जाता है जबकि जो शब्द वाक्य में आए संज्ञा/सर्वनाम शब्दों का एकदूसरे से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहा जाता हैं। क्रियाविशेषण तथा संबंधबोधक दोनों अविकारी (अव्यय) शब्द है। अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग क्रियाविशेषण और संबंधबोधक दोनों प्रकार से किया जाता है।
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