रुधिर वाहिनी किसे कहते हैं और इनके कितने प्रकार है | Rudhir Vahini Kise Kahate Hain

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रुधिर वाहिनी किसे कहते हैं और इनके कितने प्रकार है | Rudhir Vahini Kise Kahate Hain

नमस्कार दोस्तों, आज की इस लेख में आप सभी का स्वागत हैं। इस लेख के अन्तरगत आप जानेंगे की रुधिर वाहिनी किसे कहते हैं और इसके कितने प्रकार होते हैं। आज की इस लेख में आप सभी को इसी के बारे में बताने वाला हूँ तो इस लेख से जुड़े रहिएगा। आइये इस लेख की शुरुवात करते हैं और जानते हैं कि रुधिर वाहिनी किसे कहते हैं?

रुधिर वाहिनी किसे कहते हैं [ Rudhir Vahini Kise Kahate Hain ]

रुधिर हृदय के द्वारा पम्प होता हुआ पूर्ण शरीर में विस्तृत रूप से फैली मोटी-पतली रुधिर वाहिनियों में निरन्तर बहता रहता है। रुधिर वाहिनियों के दो तन्त्र होते हैं। (i) धमनी तन्त्र (ii) शिरा तन्त्र
ये दोनों तन्त्र केशिकाओं (Capillaries) द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।

धमनी किसे कहते हैं [ Dhamni Kise Kahate Hain ]

धमनियाँ रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों एवं ऊतकों में पहुँचाती हैं। अतः स्पष्ट है, कि आदर्श रूप से इन्हें हम उन वाहिनियों के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जो रुधिर को हृदय से दूर ले जाती हैं। इनमें मुख्यतया ऑक्सीजन युक्त (Oxygenated) शुद्ध रुधिर (Pure blood) होता है। केवल फुफ्फुसीय धमनियाँ (Pulmonary arteries) इसका अपवाद होती हैं, क्योंकि ये हृदय से अशुद्ध रुधिर (Impure or deoxygenated blood) को शुद्धिकरण के लिए फेफड़ों में ले जाती हैं।

शिरा किसे कहते हैं [ Shira Kise Kahate Hain ]

शिराएँ शरीर के सब अंगों एवं ऊतकों से रुधिर को वापस हृदय में लाती हैं। अत: आदर्श रूप से इन्हें हम उन वाहिनियों के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जो रुधिर को हृदय के पास लाती हैं। इनमें CO2 युक्त अनॉक्सीकृत या अशुद्ध रुधिर होता है। फुफ्फुसीय शिराएँ (Pulmonary veins) इसका अपवाद होती हैं, जिनमें शुद्ध रुधिर होता है, क्योंकि ये फेफड़ों में ऑक्सीजन युक्त रुधिर को हृदय में लाती हैं। केशिकाएँ (Capillaries) ये धमनी से शिरा तक रुधिर को ले जाने वाली छोटी नलिकाएँ होती हैं, जो शरीर में ऊतक स्तर पर एक जाल के रूप में बिछी रहती हैं।

वास्तव में, अंगों में पहुँचकर धमनियाँ धमनिकाओं (Arterioles) में विभक्त हो जाती हैं तथा अन्त में पतली-पतली केशिकाओं में बँट जाती हैं। ये छोटी-छोटी केशिकाएँ जुड़कर शिराकाएँ (Veinucles) और फिर शिराएँ बनाती हैं। रुधिर का बहाव सदैव एक ही दिशा में होता है। जन्तुओं के शरीर में धमनी, धमनिका, केशिका, शिरा का एवं शिरा ये सम्बन्ध निम्न रेखाचित्र से समझ सकते हैं।

धमनी एवं शिराओं की एक कोशकीय दीवारों से अपशिष्ट एवं पोषक पदार्थों तथा गैसों (CO2 तथा O) का विनिमय विसरण प्रकिया द्वारा होता है।

धमनी तथा शिरा में अंतर [ Dhamani Tatha Shira me Antar]

धमनी ( Dhamni)शिरा ( Shira )
ये रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाती हैं।ये शरीर के विभिन्न अंगों से रुधिर को हृदय की ओर ले जाती हैं।
धमनियों में कपाट नहीं होते हैं।शिराओं में अर्द्धचन्द्राकार कपाट हैं, जो रुधिर को शरीर की ओर उल्टा बहने से रोकते हैं।
धमनियों में रुधिर अत्यधिक दबाव में बहता है।शिराओं में रुधिर बहुत कम दबाव के साथ बहता है।
धमनियों में अधिकतर ऑक्सीकृत रुधिर बहता है। अतः ये गुलाबी या चमकीले लाल रंग की होती हैं।शिराओं में अधिकतर अनॉक्सीकृत रुधिर बहता है। अतः ये गहरी लाल या नीली-सी प्रतीत होती हैं।
धमनियाँ शरीर में गहराई में स्थित होती हैं।शिराओं की भित्ति पडली होती है।
धमनियों की भित्ति मोटी व लचीली होती है।शिराओं में पेशी स्तर पतला होता है।
धमनियों में पेशी स्तर मोटा होता है।शिराएँ त्वचा के समीप स्थित होती है।

इस लेख के बारे में

उम्मीद करता हूँ की आपको यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख के अंतर्गत आपने जाना की रुधिर वाहिनी किसे कहते हैं। इसके कितने प्रकार होते हैं, इस लेख में आपको रुधिर वाहिनी से जुडी साड़ी सूचनाएं मिल गयी होंगी

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