allhindi.co.in के एक नए लेख में आपका स्वागत है। आज की इस नए लेख में आप कवि किसे कहते हैं, इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके पिछले लेख में आपने प्रकाश संश्लेषण के बारे में जाना था। तो आइए जानते है की कवि किसे कहते हैं ?
कवि किसे कहते हैं
जब कोई व्यक्ति अपने मन के भाव या विचारो को शब्दों में सुष्जित करकर दुसरो के सामने लिखकर या पढ़कर अपनी भावनाओं को दुसरो के साथ साझा करता हैं उसे कवि कहते हैं। कवियों के विशेषताओं के बारे में बताते हुए बहुत से ज्ञानी कहते हैं की “जहाँ न पहुचे रवि वहा पहुचे कवि” ।

यह बात एक मत से सही भी हैं क्योकि जहां तक कवि की सोच पहुच सकती हैं वहा सूरज (रवि) नहीं पहुच सकता है।
इसी वजह से कवियों की उपमा इस तरह से की जाती हैं “जहाँ न पहुचे रवि वहा पहुचे कवि“
कवि की सूचीयाँ
कवियों की सूचियों के नाम | कवियों की सूचियों के नाम |
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अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना | अमीर ख़ुसरो |
हरिवंशराय बच्चन | अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |
सोहन लाल द्विवेदी | अशोक चक्रधर |
सोम ठाकुर | अटल बिहारी वाजपेयी |
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ | उदय प्रकाश |
सूर्यकुमार पाण्डेय | कबीर |
सूरदास | काका हाथरसी |
सुमित्रानंदन पंत | केदारनाथ अगरवाल |
सुभद्रा कुमारी चौहान | केदारनाथ सिंह |
सियारामशरण गुप्त | कुमार विश्वास |
सावित्रि नौटियाल काला ‘सवि’ | कुँवर बेचैन |
सच्चिदानंद वात्स्यायन | कुँवर नारायण |
श्याम नारायण पाण्डेय | गोपाल सिंह नेपाली |
शैल चतुर्वेदी | गोपालदास नीरज |
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | नरोत्तम दास |
शिवदीन राम जोशी | नरेश मेहता |
शंकरलाल द्विवेदी | धर्मवीर भारती |
वृन्द | तुलसीदास |
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ | जगन्नाथदास रत्नाकर |
लक्ष्मी शंकर बाजपाई | जयशंकर प्रसाद |
लछिराम | चंदबरदाई |
राम रतन भटनागर | नागार्जुन |
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | महादेवी वर्मा |
रामभद्राचार्य | भारत भूषण |
रवीन्द्र प्रभात | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
वीरेंद्र आस्तिक | भवानी प्रसाद मिश्र |
मोहन राणा | बिहारी लाल हरित |
मानवेन्द्र सिंह | बालस्वरूप राही |
माखनलाल चतुर्वेदी | बालकृष्ण राव |
प्रसून जोशी |
गोपलदारस की कुछ कविता
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफरत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है!
यह कविता गोपालदास नीरज के द्वारा लिखा गया हैं जो मेरी पसंदीदा हैं कमेंट में आप लिख कर बताये की आपकी पसंद कविता कौन सी हैं
इस लेख के बारे में:
तो आपने इस लेख में जाना की कवि किसे कहते हैं ? इस लेख को पढ़कर आपको कैसा लगा आप अपनी राय हमें कमेंट कर सकते है| इस लेख में सामान्य तौर पर किसी भी प्रकार की कोई गलती तो नहीं है लेकिन अगर किसी भी पाठक को लगता है की इस लेख में कुछ गलत है तो कृपया कर हमे अवगत करे| आपके बहुमूल्य समय देने के लिए और इस लेख को पढने के लिए allhindi की पूरी टीम आपका दिल से आभार व्यक्त करती है|
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