CPU ke Janak Kaun Hai | सीपीयू के जनक कौन है?

CPU ke Janak Kaun Hai | सीपीयू के जनक कौन है?

प्रिय पाठक Allhindi.co.in में आप सभी का स्वागत है। हम सभी ने कंप्यूटर के साथ CPU को coonect रहते देखा है | CPU को computer को कार्य करने में बहुत उपयोगी होता है| हम जो भी निर्देश कंप्यूटर को देते है उन्हें process करने के लिए हमे cpu की जरूरत पड़ती है| लेकिन क्या आप जानते है CPU ke Janak Kaun Hai (सीपीयू के जनक कौन है?)

सीपीयू के जनक कौन है
सीपीयू के जनक कौन है

सीपीयू के जनक कौन है?

सीपीयू के जनक आज भी बहुत सरे लोग चार्ल्स बैबैज को ही माना जाता है। सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट ही एक वास्तविक कंप्यूटर है, यह कंप्यूटर का मस्तिष्क और ह्रदय कहलाता है कंप्यूटर में किये जाने सभी कार्य आउटपुट के उपकरण तो केवल कम्प्यूटर से हमारा सम्बन्ध जोड़ने का कार्य करते हैं। सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट ही एक वास्तविक कम्प्यूटर है, यह कम्प्यूटर का मस्तिष्क और हृदय कहलाता है। कम्प्यूटर में किए जाने वाले सभी कार्य सीपीयू द्वारा ही किये जाते है। इनपुट-आउटपुट के उपकरण तो केवल कंप्यूटर से हमारा सम्बन्ध जोड़ने का कार्य करते है।

सी.पी.यू. के प्रमुख कार्य

  • निर्देशों तथा डेटा को मुख्य मैमोरी (Main Memory) से रजिस्टर्स में स्थानान्तरित (Transfer) करना।
  • निर्देशों का क्रमिक रूप से क्रियान्वयन (Execution) करना।
  • आवश्यकता पड़ने पर आउटपुट डेटा को रजिस्टर्स से मुख्य मैमोरी में स्थानान्तरित करना।

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के तीन महत्त्वपूर्ण भाग:

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के तीन महत्त्वपूर्ण भागो से मिलकर बनी होती है| P.C. या माइक्रो कंप्यूटर के CPU में एक छोटा सा microprocesor होता है|

1. अंकगणितीय तथा तार्किक यूनिट (Arithmetic and Logical Unit-ALU)

यह इकाई-C.P.U. के लिए सभी प्रकार की अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़ घटा, गुणा तथा भाग) और तुलनाएँ (दो संख्याओं में यह बताना कि कौन—सी छोटी या बड़ी है या दोनों बराबर हैं) करती हैं। यह कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक परिपथों (Circuits) से मिलकर बनी होती है, जिनमें एक ओर से कोई दो संख्याएँ भेजने पर और दूसरी ओर उनका योग, अन्तर, गुणनफल, भागफल या तुलनात्मक गणना (जैसे-< > = < = > =) प्राप्त हो जाती है।

इसमें सारी क्रियाएँ बाइनरी पद्धति (Binary Method) में की जाती हैं। प्राप्त होने वाली संख्याओं तथा क्रियाओं के परिणामों को अस्थाई रूप से स्टोर करने या रखने के लिए इसमें कई विशेष बाइट्स (Bytes) होती हैं, जिन्हें रजिस्टर (Register) कहा जाता है।” रजिस्टर (Register) यह एक ऐसा उपकरण या साधन है, जिसमें डेटा स्टोर किया जाता है। रजिस्टर बहुत तीव्र गति वाले अस्थाई स्टोरेज युक्ति है। मैमोरी के अनुक्रम (Memory Hierarchy) में रजिस्टरों का स्थान सबसे ऊँचा होता है और ये सी.पी.यू. के डेटा का उपयोग करने के लिए सबसे तीव्र मार्ग देते हैं। किसी प्रोग्राम के क्रियान्वयन (Execution) को सबसे तीव्र गतिशीलता प्रदान करने के लिए रजिस्टरों का व्यापक प्रयोग किया जाता है।

2. कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit-CU)

इस भाग का कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। यह कम्प्यूटर के सभी भागों के कार्यों पर नजर रखता है और उनमें परस्पर तालमेल बैठाने के लिए उचित आदेश भेजता है। इसका सबसे प्रमुख और पहला कार्य यह है कि हम जिस प्रोग्राम का पालन कराना चाहते हैं, यह उसे मैमोरी में से क्रमशः पढ़कर उसका विश्लेषण (Analysis) करता है और उसका पालन कराता है।

किसी आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए यह कम्प्यूटर के दूसरे सभी भागों को उचित निर्देश जारी करता है। उदाहरण, मैमोरी को आदेश दिया जा सकता है कि वह कुछ डेटा को किसी विशेष स्थान पर स्टोर कर दे या वहाँ से पढ़कर ALU में भेज दे। कंप्यूटर के सभी भागों में सामंजस्य बनाकर प्रोग्रामों को सही रूप से पालन करना इस यूनिट की जिम्मेदारी है

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प्राइमरी स्टोरेज यूनिट ( Primary Storage Unit )

इसे आन्तरिक ( Internal ) या मुख्य ( Main ) मैमोरी भी कहा जाता है । यह सी.पी.यू. से सीधे जुड़ी होती है । इसका अर्थ है कि सी.पी.यू. इसमें स्टोर किए गए निर्देशों को लगातार पढ़ता रहता है और उनका पालन करता रहता है । प्राइमरी स्टोरेज यूनिट कम्प्यूटर का कार्यकारी संग्रह ( Working Storage ) है । इसमें डेटा , सूचना और प्रोग्राम प्रक्रिया के समय स्थित रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध होते हैं ।

इस मैमोरी में संग्रह के लिए अनेक स्थान होते हैं , जिनकी संख्या निश्चित होती है जो मैमोरी का आकार ( Memory Size ) या मैमोरी की क्षमता ( Memory Capacity ) कहलाती है ; जैसे- 256 KB , 512 MB , 1 GB , 2 GB , 4GB आदि । प्रत्येक स्थान ( Location ) का एक एड्रेस ( Address ) होता है । कम्प्यूटर की मुख्य मैमोरी दो प्रकार की होती हैं , जिनका विवरण निम्नवत हैं ( i ) रैण्डम एक्सेस मैमोरी- रैम ( Random Access Memory – RAM ) यह वास्तव में रीड / राइट ( Read / Write ) मैमोरी होती है । ऐसी चिप जिसमें डेटा का पठन ( Reading ) एवं लेखन ( Writing ) दोनों सम्भव होते हैं । यह कम्प्यूटर की अस्थाई मैमोरी ( Temporary Memory ) होती है अर्थात् इसमें डेटा अस्थाई रूप से संगृहित रहता है ।

कम्प्यूटर बन्द ( OFF ) होने या विद्युत आपूर्ति ( Electricity Power ) बन्द हो जाने पर RAM में संगृहित डेटा समाप्त हो जाता है , यही कारण है कि इसे अस्थाई मैमोरी भी कहा जाता है । इसमें कीबोर्ड या अन्य किसी इनपुट साधन से स्वीकार किया गया डेटा , प्रक्रिया से पहले संगृहित होता है जिसे सी.पी.यू. द्वारा आवश्यकतानुसार प्राप्त कर लिया जाता है । ( ii ) रीड ओनली मैमोरी – रोम ( Read Only Memory – ROM ) यह मैमोरी चिप केवल डेटा का पठन ( Reading ) कर सकती है ।

अत : यह स्थाई मैमोरी ( Permanent Memory ) होती है , जिसमें कम्प्यूटर निर्माण के समय ही प्रोग्राम संगृहित कर दिए जाते हैं । इस मैमोरी में संगृहित प्रोग्राम बदला ( Change ) या नष्ट नहीं किया जा सकता । जब हम कम्प्यूटर को स्विच ऑन ( ON ) करके सक्रिय ( Active ) करते हैं , तब ROM में कम्प्यूटर निर्माण के समय स्थाई रूप से संगृहित प्रोग्राम स्वतः ही क्रियान्वित हो जाते हैं । ये प्रोग्राम कम्प्यूटर से जुड़े सभी उपकरणों को जाँचकर उन्हें सक्रिय अवस्था में लाते हैं । ROM में उपस्थित ये प्रोग्राम बायोस ( BIOS – Basic Input Output System ) कहलाते हैं । ROM एक सेमीकण्डक्टर चिप ( Semiconductor Chip ) होती है , जिसमें प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर ( Software ) संगृहित रहते हैं ।

इस लेख में हमने आपको इस लेख में (सीपीयू के जनक कौन है) उसके बारे में बताया| । हम आशा करते हैं कि हमारी यह पोस्ट (सीपीयू के जनक कौन है) के बारे में आपकों पढ़ कर अच्छा लगा होगा ।

सारांश

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