मैमोरी किसे कहते है| मैमोरी के प्रकार

मैमोरी किसे कहते है| मैमोरी के प्रकार

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मेमोरी के बारे में तो हम सभी ने सुना होगा लेकिन क्या आप जानते है की मेमोरी किसे कहते है और अगर आप नहीं जानते तो आज किस की इस लेख में आप इन्ही तथ्यों से जुड़े जवाबो को जानेंगे|

मैमोरी किसे कहते है
मैमोरी किसे कहते है

मैमोरी किसे कहते है

वह इकाई है, जिसमें डेटा और आदेशों या प्रोग्रामों को स्टोर किया जाता है इसलिए इसे स्टोरेज युक्ति भी कहा जाता है। यह ऐसे साधनों से बनी होती है, जिनका प्रयोग किसी प्रोग्राम पालन के समय सूचनाएँ स्टोर करने के लिए किया जाता है। ऐसे इकाई को ही मैमोरी कहते है|

मैमोरी इकाई को इस प्रकार बनाया जाता है कण्ट्रोल इकाई के लिए उसमें से कोई भी सूचना प्राप्त करना सम्भव हो, इसमें लगने वाला समय विभिन्न कार्यों के लिए भिन्न-भिन्न हो सकता और यह मैमोरी में उपयोग किए गए साधनों पर निर्भर करता है। मैमोरी के लिए प्रचलित साधन इण्टिग्रेटिड सर्किट मैमोरी (Integrated Circuit Memory) , चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape) या चुम्बकीय डिस्क (Magnetic Disk) होते हैं।

किसी कम्प्यूटर की मैमोरी को दो श्रेणियों में बाँटा जाता है, जो निम्नवत् हैं
1. मुख्य मैमोरी (Main Memory) प्रोग्रामिंग असिस्टैन्ट (कोपा) पेन ड्राइव डिस्क

मुख्य मैमोरी (Main Memory):

इसे आन्तरिक (Internal) मैमोरी भी कहा जाता है, क्योंकि यह कम्प्यूटर के सी.पी.यू. से सीधे सम्पर्क में रहती है या है। इसमें लाखों की संख्या में बाइट्स (Bytes) होती हैं। प्रत्येक बाइट, 8 लगातार बिटों (Bits) की एक शृंखला होती है। बिट सूचना की सबसे ।पी.यू । का ही भाग होती छोटी इकाई है। किसी बिट की दो स्थितियाँ हो सकती हैं, जिन्हें हम ऑन (ON) तथा ऑफ (OFF) कहते हैं, सुविधा के लिए हम इन स्थितियों को क्रमश: 1 तथा 0 से व्यक्त करते हैं। इन बिटों की स्थितियों के अनुसार बाइट का मान (Value) या अर्थ निकाला जाता है।

मैमोरी में बाइट को ही सबसे छोटी इकाई माना जाता है। मैमोरी की प्रत्येक बाइट का एक विशेष पता (Address) होता है। जिस प्रकार किसी शहर में मकानों पर नम्बर प्लेट होती हैं, उसी प्रकार मैमोरी में बाइटों पर क्रम संख्याएँ होती हैं। ये क्रम संख्याएँ शून्य से प्रारम्भ होती हैं। इन संख्याओं को ही बाइटों का पता कहा जाता है।

कम्प्यूटर की मुख्य मैमोरी का आकार किलोबाइट या मेगाबाइट में नापा जाता है। साधारण छोटे कम्प्यूटरों मुख्य मैमोरी 16 मेगाबाइट से 1 गीगाबाइट तक होती है। बड़े कम्प्यूटरों की मुख्य मैमोरी कई गीगाबाइटों की भी हो सकती है।

मुख्य मैमोरी में किसी समय चल रहे प्रोग्राम (या प्रोग्रामों) तथा उनके इनपुट एवं आउटपुट डेटा को अस्थायी रूप से कुछ समय के लिए स्टोर किया जाता है। जैसे ही उनकी आवश्यकता समाप्त हो जाती है, उन्हें हटाकर दूसरे डेटा या प्रोग्राम उस जगह रख दिए जाते हैं। मुख्य मैमोरी का आकार सीमित होता है परन्तु इसकी गति बहुत तेज होती है, ताकि जब भी किसी डेटा की जरूरत हो, इसमें से तुरन्त प्राप्त कर लिया जा सके।

मुख्य मैमोरी में निम्नलिखित सूचनाएँ रखी जाती हैं|

  • प्रोसेस किया जाने वाला समस्त डेटा और उसको प्रोसेस करने के लिए आवश्यक निर्देश, जो इनपुट साधनों से प्राप्त किये गये होते है|
  • प्रोसेसिंग के अंतरिम (Intermediate) परिणाम।
  • प्रोसेसिंग के अन्तिम (Final) परिणाम, जिन्हें आउटपुट साधन को भेजे जाने तक रखा जाता है।

विशेषताएँ (Features)

(i) यह कार्यक्रमों और डेटा धारण प्रोसेसर के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता है।
(ii) प्रोसेसर इसके साथ प्रति सेकेण्ड में लाखों सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है।
(iii) इसमें संगृहित डेटा को आसानी से बदला जा सकता है।
मुख्य मैमोरी विभिन्न प्रकार की होती हैं, जिनका विवरण निम्न है

(i) रैण्डम एक्सेस मैमोरी (Random Access Memory-RAM):

यह मैमोरी एक चिप में होती है, जो मैटल-ऑक्साइड सेमीकण्डक्टर (Metal oxide Semiconductor-MOS) से बनी मैमोरी के किसी भी लोकेशन को चुनकर उसका उपयोग सीधे ही किसी डेटा को स्टोर करने या उसमें से डेटा पढ़ने के लिए कर सकते हैं। यह मैमोरी ऐसे रजिस्टरों और उनमें जुड़े हुए परिपथों (Circuits) से बनी होती है, जिनसे डेटा को वहाँ तक और वहाँ से स्थानान्तरित करना सम्भव हो।

ऐसी प्रत्येक लोकेशन का एक निश्चित पता (Address) होता है, जिसकी सहायता से हम उस लोकेशन तक पहुँच सकते हैं। इस मैमोरी के रजिस्टरों या लोकेशनों को हम आवश्यकता होने पर कभी भी उपयोग में ला सकते हैं इसलिए इसका नाम रैण्डम एक्सेस मैमोरी रखा गया है। रैम में भरी जाने वाली सूचनाएँ अस्थायी होती हैं और जैसे ही कम्प्यूटर की बिजली सप्लाई बन्द कर दी जाती है, वैसे ही ये समस्त सूचनाएँ नष्ट हो जाती हैं। रैण्डम एक्सेस मैमोरी रैम में वे प्रोग्राम और डेटा रखे जाते हैं, जिनको सी.पी.यू. खोज और प्राप्त कर सके। इस मैमोरी को भी कई सेक्शनों में बाँटा जाता है, ताकि उसमें रखी गई सूचनाओं को व्यवस्थित किया जा सके और उन्हें आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके एड्रेस बस-सी । पी.यू. को यह बताने की सुविधा देती है कि हमें मैमोरी के किस लोकेशन में सूचना स्टोर करनी है या वहाँ से सूचना प्राप्त करनी है। रैम (RAM) मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं

डायनमिक रैम-डी रैम (Dynamic RAMDRAM)

डी रैम चिप के स्टोरेज सेल परिपथों में एक ट्रांज़िस्टर लगा होता है जो ठीक उसी प्रकार कार्य करता है, जिस प्रकार कोई ऑन-ऑफ लाइट स्विच कार्य करती है और इसमे एक कैपेसिटर (Capacitor) भी लगा होता है, जो एक विद्युत चार्ज को स्टोर कर सकता है। ट्रांज़िस्टर रूपी स्विच की स्थिति के अनुसार, यह कैपेसिटर या तो कोई चार्ज नहीं रखता या चार्ज रखता है। इन स्थितियों को क्रमशः 0 बिट और 1 बिट माना जाता है परन्तु कैपेसिटर का चार्ज लीक हो सकता है इसलिए उस चार्ज को फिर से भरने या उत्पन्न करने का प्रावधान (Provision) किया जाता है अर्थात् डी रैम को बार-बार रिफ्रेश (Refresh) करना पड़ता है। इस प्रकार डायनमिक रैम चिप ऐसी मैमोरी की सुविधा देता है, जिसकी सूचना बिजली बन्द करने पर नष्ट हो जाती है।

डी रैम कई प्रकार की होती हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं

  • एस डी रैम (Synchronous DRAM-SDRAM) •
  • आर डी रैम (Rambus DRAM-RDRAM) •
  • एफ पी एम डी रैम (Fast Page Mode DRAM-FPMDRAM) •
  • ई एस डी रैम (Enhanced Synchronous DRAM ESDRAM) •
  • ई डी ओ डी रैम (Extended Data Output DRAM-EDODRAM) 

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रीड ओनली मैमोरी (Read Only Memory-ROM)

यह वह मैमोरी है, जिसमें डेटा पहले से भरा जा चुका होता है, जिसे हम केवल पढ़ सकते हैं। हम उसे हटा या बदल नहीं सकते, वास्तव में रोम चिप बनाते समय ही उसमें कुछ आवश्यक प्रोग्राम और डेटा लिख दिए जाते हैं, जो स्थायी होते हैं। जब कम्प्यूटर की बिजली बन्द कर दी जाती है, तब भी रोम चिप में भरी हुई सूचनाएँ सुरक्षित बनी रहती हैं। रोम चिपों का उपयोग सभी प्रकार की । इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों; जैसे-वीडियो गेम, डिजिटल कैमरा आदि में किया जाता है, अधिकांश पर्सनल कम्प्यूटरों में रोम मैमोरी के बहुत उपयोग होते हैं। इनमें प्रायः ऐसी सूचनाएँ स्टोर की जाती हैं, जो स्थायी और महत्त्वपूर्ण होती हैं या वे प्रोग्राम स्टोर किए जाते हैं, जिनको बदलने की आवश्यकता नहीं होती; जैसे-कम्प्यूटर को बूट करने वाला प्रोग्राम।

कम्प्यूटर केवल 0 और 1 को समझ सकते हैं। किसी ट्रांजिस्टर की दो स्थितियाँ होती हैं, या तो उनमें बिजली होकर जा सकती है या नहीं जा सकती अर्थात् उनमें विद्युत धारा है या नहीं है। ये स्थितियाँ क्रमशः 1 और 0 के समतुल्य हैं। रोम चिप वास्तव में लाखों ट्रांज़िस्टरों से बनाई जाती है।

रोम (ROM) मुख्यतः निम्न प्रकार की होती हैं

(a) पी रोम (PROM)

यह प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी (Programmable Read Only Memory) का संक्षिप्त नाम है। यह एक ऐसी मैमोरी है, जिसमें एक प्रोग्राम की सहायता से सूचनाओं को स्थायी रूप से स्टोर किया जाता है। साधारण रोम मैमोरी में ट्रांजिस्टर स्विचों को स्थायी रूप से ऑन (1) या ऑफ (0) स्थितियों में सेट कर दिया जाता है लेकिन पी रोम को इस प्रकार बनाया जाता है कि इसके सभी स्विचों को ऑन करके छोड़ दिया जाता है। इस मैमोरी में कोई सूचना भरने के लिए एक युक्ति जिसे पी रोम प्रोग्रामर (PROM Programmer) या बर्नर (Burner) कहा जाता है, जिसके द्वारा ऐसे उच्च वोल्टेज के पल्स उत्पन्न किए जाते हैं, जिनसे कुछ चुने हुए स्विच नष्ट हो जाते हैं अर्थात् वे स्विच 1 से 0 हो जाते हैं। इस प्रकार पी रोम चिप में सूचनाएँ स्टोर कर दी जाती हैं।

ई पी रोम (EPROM)

यह इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी (Erasable Programmable Read Only Memory) का संक्षिप्त नाम है। यह एक ऐसी पी रोम मैमोरी है, जिसको फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है। इसकी सूचनाओं को चिप में ही रखी गई विद्युत धारा के द्वारा स्थायी रखा जाता है। किसी ई पी रोम की सूचनाओं को उसके सर्किट से हटाकर और उसमें बनी हुई एक छोटी—सी खिड़की से पराबैंगनी किरणें (Ultraviolet Rays) डालकर साफ किया जा सकता है। बाद में इसे ईपी रोम बर्नर (EPROM Burner) की सहायता से फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है। कैशे मैमोरी (Cache Memory) यह एक विशेष प्रकार की मैमोरी होती है, जो अत्यधिक तीव्र स्टैटिक रैम (SRAM) चिपों का उपयोग करती है और प्रोसेसर को किसी विशेष मैमोरी का उपयोग अत्यन्त तेजी से करने की सुविधा प्रदान करती है। सामान्यतः प्रोसेसर को रैम मैमोरी से कोई डेटा पढ़ने में 180 नैनोसेकेण्ड का समय लग जाता है। कैशे मैमोरी से बार-बार गुजरने वाला डेटा केवल 45 नैनोसेकेण्ड में प्राप्त किया जा सकता है। कैशे मैमोरी का उपयोग करने से कम्प्यूटर की दक्षता काफी बढ़ जाती है। कैशे मैमोरी प्रोसेसर और मानक डी रैम (DRAM) मॉड्यूलों के बीच एक बफर के रूप में रहती है। नवीनतम निर्देश और उसके डेटा को कैशे मैमोरी में रखा जाता है। जब प्रोसेसर को किसी सूचना की आवश्यकता होती है, तो सबसे पहले वह कैसे मैमोरी को ही देखता है, बाद में मुख्य मैमोरी को देखा जाता है। यदि सूचना कैशे में संगृहित होती है, तो प्रोसेसर उसका प्रयोग सीधे कैशे करता है, जिससे डेटा की प्रोसेसिंग में बहुत कम समय नष्ट होता है।

ई-ई पी रोम (EEPROM)

यह इलेक्ट्रिकली इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory) का संक्षिप्त नाम है। यह एक ऐसी ई पी रोम मैमोरी है, जिसको फिर से प्रोग्राम करने के लिए सर्किट से हटाने और निर्माता को भेजने की आवश्यकता नहीं होती। आप इसको एक विशेष सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम की सहायता से अपने कम्प्यूट में ही प्रोग्राम कर सकते हैं। इसमें यह विशेषता भी है कि फिर से प्रोग्राम करने के लिए इसकी सारी सूचनाओं को नष्ट करने की आवश्यकता नहीं है। आप एक बार में इसकी एक बाइट को साफ करके फिर से लिख सकते हैं।

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